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सफल व्यापार विचार: सपनों को साकार करने के लिए विशाल विद्यालय या उच्च डिग्री की आवश्यकता नहीं होती। मेहनत, समर्पण और सही दिशा में की गई गतिविधि आपको ऊंचाइयों तक पहुंचा सकती है। यही एक कहानी है दिल्ली के चांदनी चौक की संकीर्ण गालियों में एक साधारण दुकान से आरंभ होकर।
4000 करोड़ के साम्राज्य तक पहुँचने वाले दो भाई। जिन्होंने केवल 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की, पर अपनी मेहनत से ऐसा व्यवसाय बनाया, जो आज लाखों लोगों को प्रेरणा दे रहा है।
1984 में, जब संजीव और संदीप जैन ने अपने करियर की शुरुआत की, तब उनके पास न बड़े साधन थे और न उज्ज्वल शिक्षा। दिल्ली के चांदनी चौक स्थित भगीरथ पैलेस मार्केट में एक छोटी 55 वर्ग फुट की दुकान से उनका सफर प्रारंभ हुआ। यह दुकान उनके अंकल के कहने पर खोली गई थी, जो स्वयं भी दवाइयों के थोक व्यापार में थे।
शुरुआत में दुकान में केवल थोक दवाइयाँ बेची जाती थीं। लेकिन जल्दी ही भाइयों ने देखा कि मौसमी बीमारियों, जैसे मलेरिया और डेंगू, के समय दवाइयों की काफी कमी होती है। यहीं से उनके दिमाग में अपनी दवा निर्माण इकाई शुरू करने का खayal आया।
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केवल जुनून से स्थापित की पहली फैक्ट्री
1992 में, जैन भाइयों ने हरिद्वार, उत्तराखंड में सिडकुल क्षेत्र में अपनी पहली दवा निर्माण इकाई की स्थापना की। उस समय सिडकुल क्षेत्र में आधारभूत सुविधाओं की कमी थी।
सड़क, बिजली और फोन जैसी सुविधाएं भी मौजूद नहीं थीं। लेकिन भाइयों के उत्साह के सामने ये तमाम रुकावटें नगण्य हो गईं। उन्होंने अपनी ज़मीन गिरवी रखकर 1.17 करोड़ रुपये जुटाकर अपनी फैक्ट्री की आधारशिला रखी।
शुरुआत से ही 19 करोड़ का लक्ष्य निर्धारित किया।
शुरूआत में उनका उद्देश्य महज 19 करोड़ का टर्नओवर था। लेकिन उनकी मेहनत की वजह से पहले साल में कंपनी ने 195 करोड़ का टर्नओवर बना लिया। यह संख्या उनके अनुमान से दस गुना अधिक थी और यहीं से Akums Drugs & Pharmaceuticals की असली प्रगति शुरू हुई।
एक से शुरुआत करके, अब पंद्रह फैक्ट्रियों के मालिक
आज Akums के पास 15 अत्याधुनिक औषधि निर्माण संयंत्र हैं, जो Tablets, Capsules, Syrups, Injections और मलहम जैसे विभिन्न प्रकार की दवाइयाँ तैयार करते हैं। कंपनी का उत्पादन भारत में 30% बाजार हिस्सेदारी के साथ सबसे बड़ा है।
Akums के ग्राहक केवल भारत तक सीमित नहीं हैं। यह कंपनी विश्व के 20 से अधिक देशों में अपनी सेवाएँ प्रदान कर रही है। Global स्तर पर, Akums आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कस्टम विकास और निर्माण संगठन बन गया है।
जैन भाइयों का सिद्धांत है छोटी शुरुआत, विशाल दृष्टिकोण।
जैन भाइयों की सफलता का सबसे बड़ा रहस्य उनकी छोटी शुरुआत और विशाल दृष्टिकोण है। भले ही उनके पास सीमित संसाधन थे, उन्होंने इसे अपनी कमजोरी मानने से हमेशा परहेज किया। उन्होंने बाज़ार की आवश्यकताओं को पहचाना, सही समय पर जोखिम उठाए और हर बार नई चीज़ें सीखने का प्रयास किया।
हाल ही में 16,000 कर्मचारियों की एक टीम
आज एकुम्स ड्रग्स एंड फार्मास्यूटिकल्स के पास 16,000 से ज्यादा कर्मचारियों की एक मजबूत टीम है। यह कंपनी केवल एक उद्योग नहीं, बल्कि लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है।
उनकी उपलब्धि यह दर्शाती है कि यदि आप में कुछ हासिल करने की इच्छा हो, तो कोई भी रुकावट आपको नहीं रोक सकती।
हर छोटे व्यापार को बड़ा बनाया जा सकता है।
संजीव और संदीप जैन की कहानी यह बताती है कि शिक्षा की कमी या संसाधनों की अभाव आपको प्रगति करने से नहीं रोक सकती।
मेहनत, समर्पण और उचित योजना से हर छोटा सपना विशाल बन सकता है। भगीरथ पैलेस की एक छोटी शॉप से 4000 करोड़ के साम्राज्य तक की यात्रा (Successful Business Idea) एक ऐसा उदाहरण है, जो सभी छोटे व्यवसायियों और युवाओं को प्रेरित करता है।